Poem — हमसफ़र

जिनकी मंज़िल एक होती है, वो अक्सर रास्तो पर ही तो मिलते है।

Sujeet Sir
1 min readMar 22, 2021
couples on bycycle
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जिनकी मंज़िल एक होती है,

वो अक्सर रास्तो पर ही तो मिलते है।

हम तुम भी मिले,

कुछ साथ चले ,

कुछ बातें की ,

कुछ वादे किये,

कुछ पुरे हुए,

कुछ बाकी रहे।

तुम्हे मुझको छोड़के जाना था,

फिर लौट के भी न आना था,

अफ़सोस मगर ये हो न सका,

अफ़सोस मगर ये हो न सका,

वरना ना जाने क्या होता,

मै तुम बिन जी लेता शायद,

या मेरा हाल बुरा होता।

ख़ैर,

ख़ैर की अब ये मंज़र है,

तुम हो, और सब कुछ सुन्दर है,

यूँ ही तो मिले नहीं हम तुम,

कुछ मतलब इसका भी होगा,

यूँ ही तो साथ नहीं हम तुम,

कुछ मकसद इसका भी होगा,

जब दिल से दिल को राह मिले तब ही तो गुल खिलते है,

जिनकी मंज़िल एक होती है, वो अक्सर रास्तो पर ही तो मिलते है।

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Sujeet Sir

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